देश हित मे......

80 करोड़ परिवारों को 5 साल तक मुफ़्त अनाज

प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि देश के 80 करोड़ परिवारों को अगले 5 साल तक मुफ़्त अनाज देने की योजना जारी रहेगी!

अच्छी बात है, जब हर तरफ मुफ़्त का फंडा चल ही पड़ा है तो यह भी चलता रहे। फिर यह बताने से क्या फायदा कि आयकर देने वालों की संख्या देश में 6 करोड़ से बढ़कर 7 करोड़ हो गई है? देश की जनसंख्या भी तो 130 करोड़ से बढ़कर 140 करोड़ हो गई। पहले 6 करोड़ लोगों के टैक्स से देश चलता था अब 7 करोड़ के टैक्स से चलेगा।

कल जब आबादी 150 करोड़ हो जाएगी तब 10 करोड़ आयकरदाताओं से देश चलने लगेगा? आज सीबीआई, ईडी, आईटी, एनसीबी आदि जांच एजेंसियां इन्हीं 8 करोड़ टैक्स प्रदाताओं में से छांट छांटकर छापे मार रही है, कल 10 करोड़ लोगों में से छांटकर रेड करेगी। हां, बढ़ती आबादी के उस हाल में 100 करोड़ को मुफ़्त अनाज देना पड़ेगा?

मुफ़्त अनाज योजना मार्च 2020 में आए कोविड काल में शुरू हुई थी। इसके लिए 20 लाख करोड़ की सहायता का एक बड़ा हिस्सा रखा गया था। 2022 में कोविड़ दुनियाभर में खत्म हो गया, मुफ़्त योजना आज भी जारी है। अब अगले पांच साल भी रहेगी। किसान पेंशन योजना आदि अनेक योजनाएं भी अनंतकाल तक चलेंगी, ऋणमाफी भी जारी रहेगी। रहे भी क्यों न, एक करोड़ करदाता और लाखों जीएसटी दाता जो बन गए हैं?

बिजली पानी मुफ़्त बांटकर केजरीवाल ने दो राज्यों में सरकार ही नहीं बनाई, सभी दलों को मुफ़्त के दम पर सत्ता में लौटने का रास्ता भी दिखा दिया। यह और बात है कि देश में पानी का रेट दो गुना हो गया और बिजली का रेट चार रुपए यूनिट से बढ़ाकर साढ़े छह रुपए यूनिट कर दिया गया। मुफ़्त अनाज बढ़ता जाएगा और चीजों के दाम भी बढ़ते जाएंगे। उसी तरह, जिस तरह प्याज और टमाटर के दाम बढ़ते हैं। जिस तरह महंगाई डायन खाए जात रही है।

भारत 1947 में आजाद हुआ, सैकड़ों वर्षों के गुलामी काल में उजड़ा हुआ एक बदकिस्मत देश आजाद हुआ। एक हजार पहले सोने की चिड़िया कहा जाता था, जब आजाद हुआ तो गरीबी, भुखमरी हिस्से आई। सत्तर के दशक में गरीबी हटाओ कार्यक्रम शुरू हुआ था, आजादी के 76 साल बाद भी 80 करोड़ को मुफ़्त अनाज योजना से जारी है।

आश्चर्य होता है कि इस हालात में भी भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है? अब मुफ़्त की योजनाओं से राजनीति को सत्ता मिलती है तो पांच साल और चलने दीजिए मुफ़्त अनाज योजना। आजादी के बाद दस वर्षों के लिए दिए गए आरक्षण की तरह मुफ़्त मुफ़्त भी स्थायी हो जाए तो हो जाए? किस्सा कुर्सी का है बाबू, कुर्सी रहनी चाहिए?

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