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“धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो, ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो”, लिखने वाले निदा फ़ाज़ली शायरी में डूबे उस शख्स का नाम है, जिसकी शायरी से रसखान, रहीम, तुलसी, गालिब और सूर के पदों की खुशबू बरसती है.
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“धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो, ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो”, लिखने वाले निदा फ़ाज़ली शायरी में डूबे उस शख्स का नाम है, जिसकी शायरी से रसखान, रहीम, तुलसी, गालिब और सूर के पदों की खुशबू बरसती है.