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India-Canada: अपनी ही सियासी बिसात पर मात खा गए ट्रूडो, भारत की आतंकी निज्जर की हत्या में नहीं है कोई भूमिका

रिपोर्ट- एस. सिंह

नई दिल्ली. इसी साल विदेश में आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से पहले तीन कुख्यात खालिस्तानी आतंकियों की मौतें हुई हैं. लेकिन बवाल सिर्फ कनाडा के सरी में हुई हरदीप सिंह निज्जर की मौत पर ही मचाया जा रहा है. तीनों मौतें या हत्याएं तीन ऐसे देशों में हुई हैं, जहां से खालिस्तानी संगठन ऑपरेट होते हैं. मामले से जुड़े कुछ विशेषज्ञों और रक्षा सलाहकारों की नजर से देखें तो उनका मानना है कि इस तरह की घटनाएं खालिस्तानी संगठनों और गैंगस्टरों के गठजाेड़ का नतीजा हो सकती हैं. भारत की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इस तरह के छोटे मामले आधिकारिक तौर पर निपटाए जा रहे हैं और जिन देशों में भी वांछित अपराधी हैं उनसे कानूनी तौर पर संपर्क किया जा रहा है.    

आतंकी- गैंगस्टर गठजोड़ और तस्करी
मामले से जुड़े जानकार कहते हैं कि कनाडा से ही वहां के नागरिकों और भारतीय मूल के स्थायी निवासियों द्वारा निरंतर अलगाववादी अभियान को बढ़ावा और वित्त पोषित किया जा रहा है. चरमपंथी खुलेआम कनाडा में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के जस्टिन ट्रूडो की सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के साथ अपने करीबी संबंधों का प्रदर्शन करते हैं. विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में शामिल गैंगस्टरों के साथ साझेदारी करते हैं. जिनमें नशीली दवाओं की तस्करी का प्रभुत्व, उनके मूल देश में बंदूक चलाना, लक्षित हत्याएं और जबरन वसूली भी शामिल है. खालिस्तानी प्रवासियों ने खतरे से भरा रास्ता चुना है. कनाडा में विशेष रूप से पंजाबी गैंगस्टर संस्कृति व्याप्त है.

गैंगवार या पुलिस ऑपरेशन में मारे गए 21 फीसदी गैंगस्टर पंजाबी
2006 के बाद से गैंगवार या पुलिस ऑपरेशन में मारे गए 21 प्रतिशत गैंगस्टर पंजाबी मूल के हैं. जबकि कनाडा की आबादी का सिर्फ 2 प्रतिशत पंजाबी सिख है। 4 अगस्त 2022 को संयुक्त बल विशेष प्रवर्तन इकाई ब्रिटिश कोलंबिया ने एक पोस्टर जारी किया, जिसमें 11 व्यक्तियों की पहचान की गई, जो गिरोह संघर्षों में अपनी निरंतर भागीदारी और हिंसा के चरम स्तरों से जुड़े होने के कारण सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करते थे. सूचीबद्ध 11 गैंगस्टरों में से नौ पंजाबी मूल के थे. जबकि पिछले दशकों में पंजाबी गिरोहों ने इटालियन-कनाडाई माफिया और एशियन ट्रायड गिरोहों के खिलाफ संघर्ष किया था. ऐसे में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों में आतंकियों की हत्या के पीछे हाथ होने से ज्यादा खालिस्तानी डायस्पोरा के खतरनाक राजनतिक और आपराधिक गठजोड़ पर ज्यादा शक किया जा सकता है.

खांडा की मौत पर जांच क्यों नहीं
15 जून को प्रतिबंधित खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के प्रमुख और आतंकी अवतार सिंह खांडा की यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बर्मिंघम के एक अस्पताल में मौत हुई और रिपोर्ट में कहा गया कि यह मौत कैंसर से हुई. हालांकि इस मौत पर भी हत्या का संदेह जताया गया. इसके बाद 6 मई को वांछित खालिस्तानी आतंकवादी और खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) के प्रमुख परमजीत सिंह पंजवड़ उर्फ मलिक सरदार सिंह की पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लाहौर में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इस मामले में भी पंजवड़ की पाकिस्तान ने पहचान ही नहीं की, उनके हिसाब से वह मलिक सरदार सिंह था. यह मामला भी यही निपट गया.

पुलिस ने कहा- हत्या में भारत का हाथ नहीं
अब बात करते हैं यहां कनाडा स्थित खालिस्तानी आतंकी और प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की जिसकी 18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में सरी में गुरु नानक सिख गुरुद्वारे के बाहर दो अज्ञात युवकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. निज्जर की हत्या के बाद से सिख फॉर जस्टिस का प्रमुख व आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू और अन्य खालिस्तानी संगठन आरोप लगा रहे थे कि निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका हो सकती है. हालांकि पुलिस के अधिकारियों ने प्राथमिक जांच में भारत की किसी भी भूमिका से इनकार कर दिया था. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को एक आतंकी की हत्या में भारत की भूमिका नजर आने लगी.

कनाडा में विपक्ष ने भी उठाए हैं सवाल
हालांकि कनाडा में विपक्ष भी भारत की भूमिका से इनकार कर रहा है और आरोप लगा रहा है कि ट्रूडो चीन के साथ अपने संबंधों पर पर्दा डालने के लिए भारत पर निराधार आरोप लगा रहे हैं. ट्रूडो की लिबरल पार्टी पर आरोप है कि उसने अपना पिछला चुनाव की चीन के सत्ता तंत्र की बदौलत जीता था, जिसकी जांच चल रही है. यही वजह बताई जा रही है कि ट्रूडो ने वोटबैंक की राजनीति और चीनी भूमिका की जांच को दबाने के लिए लोगों का ध्यान भारत की ओर आकर्षित किया है.

आपराधिक गठबंधनों और गतिविधियों के कारण भी हो सकती है निज्जर की मौत
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल और इंस्टीट्यूट ऑफ कनफ्लिक्ट मैनेजमेंट के कार्यकारी निदेशक अजय साहनी ने अपने आलेख में लिखा कि 45 दिनों की अपेक्षाकृत संक्षिप्त अवधि में विदेशों में व्यापक रूप से बिखरे हुए स्थानों में तीन खालिस्तानी चरमपंथियों की मौत निश्चित रूप से आश्चर्यजनक है और इसकी बारीकी से जांच की आवश्यकता हो सकती है. उन्होंने कहा कि यह आपराधिक गठबंधनों और गतिविधियों के व्यापक संदर्भ में फिट बैठता है, जिसमें हिंसा की कई घटनाएं देखी गई हैं. साहनी कहते है कि खालिस्तानी डायस्पोरा ने मौत की प्रचार क्षमता को तुरंत पकड़ लिया है. विशेष रूप से कनाडा में निज्जर की हत्या तीन दिन बाद के बाद भारत पर आरोप लगाकर तूफान खड़ा कर दिया. मौत की वर्तमान जांच अब इस तरह की भड़काऊ अटकलों को हफ्तों और छह महीने तक पनपने देगी, जब तक कि पूछताछ रिपोर्ट द्वारा इस मुद्दे का अंतिम समाधान नहीं हो जाता.

हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा की ड्रग ओवर डोज से हुई थी मौत
वह आगे लिखते हैं कि ये विदेश में खालिस्तानी कार्यकर्ताओं या आतंकवादियों की पहली हाई-प्रोफाइल मौतें/हत्याएं नहीं हैं. उदाहरण के लिए 19 नवंबर 2022 को बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के एक प्रमुख पाकिस्तान स्थित ऑपरेशनल कमांडर हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा की लाहौर के एक सैन्य अस्पताल में कथित तौर पर नशीली दवाओं के ओवरडोज के कारण मृत्यु हो गई थी. रिंदा 9 मई 2022 को पंजाब के मोहाली में पंजाब पुलिस इंटेलिजेंस मुख्यालय पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) हमले के मास्टरमाइंड में से एक था. इस घटना को विदेश में कई गैंगस्टरों से भी जोड़ा गया है, जिनमें प्रमुख रूप से कनाडा में लखबीर सिंह लंडा, सतबीर सिंह उर्फ साग्रीस भी शामिल था. रिंदा पाकिस्तान से भारत में ड्रग्स और हथियारों की आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख व्यक्ति था.

ड्रग विवाद में मारा गया हरमीत सिंह उर्फ हैप्पी पीएचडी
27 जनवरी, 2020 को एक अन्य हथियार और ड्रग डीलर साथ ही केएलएफ के तत्कालीन प्रमुख हरमीत सिंह उर्फ हैप्पी पीएचडी की लाहौर के पास डेरा चहल गुरुद्वारे में हत्या कर दी गई. जाहिर तौर पर ड्रग पर वित्तीय विवाद के कारण दूसरे स्थानीय गिरोह से डील करते हुए उसकी हत्या हुई. भारतीय पुलिस सूत्रों ने संकेत दिया कि हरमीत सिंह 2016 और 2017 के बीच भारतीय पंजाब में हत्याओं की एक श्रृंखला में शामिल था, जिसका विदेशों में खालिस्तान-गैंगस्टर नेटवर्क में भी प्रमुख पदचिह्न था. अजय साहनी लिखते हैं कि यह पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा संरक्षित और नियंत्रित खालिस्तानी-मादक पदार्थ-गिरोह नेटवर्क है, जिसमें परमजीत सिंह पंजवड़ की हत्या का आकलन करने की आवश्यकता है. पंजवड़ पाकिस्तान से हेरोइन, हथियारों और नकली भारतीय मुद्रा नोटों (एफआईसीएन) की तस्करी में गहराई से शामिल था, यहां तक कि वह इन गतिविधियों से उत्पन्न राजस्व के साथ केसीएफ को जीवित रखने की कोशिश कर रहा था. अजय साहनी का यह लेख इस बात को दर्शाता है कि जिस तरह पाकिस्तान में खालिस्तानी-गैगस्टर और तस्कर गठजोड़ काम कर रहा है वैसे ही पश्चमी देशों में भी खालिस्तानी गैंगस्टर और तस्कर नेटवर्क सक्रिय है.  

निज्जर पर क्या थे आरोप
निज्जर पर 2014 में एक स्वयंभू बाबा भनियारा की हत्या का आरोप है. 2021 में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी मनोहर लाल की हत्या का भी उस पर आरोप था. 2021 में एक हिंदू पुजारी, प्रज्ञा ज्ञान मुनि की हत्या के प्रयासों के साथ-साथ डेरा सच्चा सौदा के अन्य अनुयायियों को निशाना बनाने की कई अन्य साजिशों में भी वह शामिल रहा. भारतीय खुफिया विभाग का यह भी दावा है कि निज्जर ने 2015 में कनाडा में एक आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया था.

उसके एक गुर्गे मनदीप सिंह धालीवाल को बाद में पंजाब में शिवसेना नेताओं को निशाना बनाने के लिए भेजा गया था, जिसे जून 2016 में गिरफ्तार किया गया था. पंजाब में जमीनी स्तर पर बहुत कम पकड़ होने के कारण निज्जर ने भारतीय पंजाब में ऐसे कई ऑपरेशनों के लिए रसद और जनशक्ति प्रदान करने के लिए गैंगस्टर अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डल्ला के साथ संबंध बनाया. डल्ला को अब विदेश में खालिस्तानी आतंकवादियों की सूची में रखा गया है, जिनकी भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी को तलाश है.

गुरुद्वारे की हिंसक राजनीति से जुड़ा था निज्जर और चल रहा था विवाद
साहनी लिखते है कि महत्वपूर्ण बात यह है कि निज्जर लंबे समय से कनाडा में अक्सर हिंसक होने वाली गुरुद्वारा राजनीति से जुड़ा रहा. वह 1985 के आईसी 182 कनिष्क बमबारी के प्रमुख साजिशकर्ता रिपुदमन सिंह मलिक के साथ लंबे समय तक टकराव में भी उलझा रहा. इस दुर्घटना में 329 लोग मारे गए थे. निज्जर ने मलिक द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियों की छपाई और वितरण पर आपत्ति जताई थी और इन प्रतियों के साथ-साथ मलिक की मुद्रण इकाई को भी जब्त कर लिया था.

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भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा मलिक को ‘बंद’ कर दिए जाने के बाद उसने भारत-विरोधी तत्वों की आलोचना करना शुरू कर दिया. उन्होंने निज्जर पर “स्पष्ट रूप से विदेशी सरकार की कुछ एजेंसियों के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था. जानकारी के मुताबिक 23 जनवरी 2022 को सरे के गुरु नानक सिख मंदिर में निज्जर ने मलिक के खिलाफ एक घंटे से अधिक समय तक हंगामा किया था और उसे कौम दा गद्दार और एजेंट बताया था. इसके बाद मलिक की 22 जून, 2022 को दो लोगों द्वारा एक गिरोह-शैली में हत्या कर दी गई थी. जाहिर है कि इन घटनाओं को भी तो जांच में एक दूसरे से जोड़ा जा सकता था. चूंकि शुरू में वास्तविक लक्ष्य तो दोनों का भारत विरोधी होने का ही रहा है.

Tags: Canada News, India, Justin Trudeau, Khalistan Tiger Force KTF

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