हाइलाइट्स
चीन ने अपने भावी चंद्रमा अभियान में दुनिया के देशों को जगह देने का इरादा किया है.
इस अभियान में दुनिया के देश अपने उपकरण चंद्रमा पर चीनी यान के जरिए भेज सकेंगे.
इस कवायद से चीन अपने अभियानों में दुनिया के अधिक देशों को शामिल करना चाहता है.
स्पेस रेस की होड़ में चीन अमेरिका से आगे निकलने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है. वह अमेरिका से प्रतिस्पर्धा करते हुए मंगल पर पहुंचा और अब चंद्रमा पर भी जाने की तैयारी है. इस दिशा में चीन ने अब उसी तरह के कदम उठाने शुरू किए हैं जो अमेरिका का कर रहा है. वह भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हो कर दूसरे देशों को अपने अभियानों में शामिल करने कि कोशिश में लग गया है. इस दिशा में उसने दो कदम उठाए हैं. इनमें से एक तो अपने स्पेस स्टेशन का आकार दो गुना बड़ा करना है तो वहीं दूसरा 2028 में नियोजित चांग ई-8 अभियान में दुनिया के दूसरे देशों को अपने उपकरण इस्तेमाल करने की जगह देने का इरादा है जिसे चीन के लिहाज से एक दरियादिली भरा कदम बताया जा रहा है.
चीन का बड़ा दिल?
दुनिया के देशों खास तौर से पश्चिमी देशों के लिए हैरानी की बात यह है कि चांगई-8 अन्वेषण परियोजना के लिए चीन इतनी ज्यादा जगह मुहैया कराने का बड़ा दिल दिखा रहा है. चीन का कहना है कि इस परियोजना को अंतररराष्ट्रीय समुदाय के योगदान के लिए खोलने से वह समानता, परस्पर लाभ, शांतिपूर्ण उपयोग और विन-विन सहयोग जैसे सिद्धांतों को कायम कर रहा है.
200 किलो का पेलोड
इसके लिए लैटर्स ऑफ इंटेंट को परिभाषित कर दिया गया है जिसे इस साल के अंत में चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन को दिया जाना है. अभियान के डिप्टी चीफ डिजाइनर वांग क्विओंग ने इस अभियान के नियोजन के साथ इसकी विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि अभियान में 200 किलो की पेलोड यानि नीतभार क्षमता ऐसे देशों के लिए रखी जाएगी जो चीन के साथ अपने उपकरणों के सहयोग के इच्छुक हैं.
किस तरह के हो सकते हैं उपकरण
क्वियोंग अजरबैजान के बाकु में चल रहे 74वें इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस को संबोधित कर रहे थे. वांग ने बताया कि ये उपकरण लैडर से भी जुड़े हो सकते हैं और रोबोट, रोवर, उड़ान भरने वाले वाहन जिनमें लैंडर से स्वतंत्र होकर काम करने की भी क्षमता है, भी इनमें शामिल किए जाएंगे. चीन का कहना है कि चंद्रमा की सतह से मिट्टी आदि जैसे सामान उठाने वाले बोट्स की तरह की नवाचार परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी.

चीन के चांग ई अभियान की शृंखला के 8वें अभियान में दूसरे देशों को इस स्तर पर शामिल करने की योजना है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons
एक प्रस्ताव यह भी
इसके अलावा जो उपकरण चीन के उपकरणों को सहयोग देंगे या उनके लिए मददगार होंगे, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी. सीएनएसए ने इससे एक कदम आगे जाते हुए चांग ई-8 चंद्र अभियान को अभियान के स्तर पर सहयोग के लिए भी खोला जाएगा. वांग ने बताया कि इसके तहत चीन और उसके साझेदार अपने अपने प्रोब का अलग अलग प्रक्षेपण और संचालन करेंगे, लेकिन कक्षा में पहुंचने के बाद दोनों के बीच यान से लेकर यान की अंतक्रिया होगी.
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अगले साल इन देशों के उपकरण जाएंगे
ऐसा नहीं है कि इससे पहले चीन ने किसी भी देश से सहयोग या साझेदारी नहीं की, हां इनकी संख्या कम जरूर थी. इसलिए इतने बड़े स्तर पर ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं. इससे पहले चांग ई-6 अभियान जो अगले साल प्रक्षेपित किया जाएगा, में 20 किलो का नीतभार ऐसा होगा जिसमें फ्रांस, स्वीडन, इटली और पाकिस्तान के उपकरण होंगे.

चीन का यह कदम चंद्रमा के लिए हो रही स्पेस रेस का नतीजा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)
अमेरिका के नक्शेकदम पर
यदि यह अभियान सफल रहा तो पहला ऐसा अभियान होगा जिसने चंद्रमा के पिछले हिस्से से नमूने लाने का काम किया होगा. अभी तक चीन एकमात्र ऐसा देश है जिसने चंद्रमा के पिछले हिस्से पर अपना रोवर पहुंचाया है. चीन का यह कदम अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रियता को देखते हुए उठाया गया माना जा रहा है जो आर्टिमिस समझौते में दुनिया के बहुत सारे देशों को शामिल कर चुका है.
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चीन ने हाल ही में अपने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को आकार को दोगुना करने का फैसला किया है. चीन का यह कदम भी दुनिया के देशों के अपने साथ जोड़ने की दिशा में एक प्रायस के तौर पर देखा जा रहा है. इस कदम का मकसद दुनिया के देशों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के विकल्प के तौर पर पेश करने की कोशिश है. हाल ही में नासा ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को रिटायर करने के योजना पर काम शुरू कर दिया है. ऐसे में अंतरिक्ष में केवल चीन का स्पेस स्टेशन बचेगा, लेकिन उससे पहले रूस 2026 में अपना खुद का स्पेस स्टेशन तैयार करने में लगा है.
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Tags: China, Moon, Nasa, Research, Science, Space, World
FIRST PUBLISHED : October 6, 2023, 07:50 IST
