हाइलाइट्स
जितिया व्रत का पूजा मुहूर्त: शाम, 06:02 पीएम के बाद से.
जितिया व्रत का पारण कल, शनिवार, सुबह 08 बजकर 08 मिनट के बाद से.
सर्वार्थ सिद्धि योग: आज 09:32 पीएम से कल सुबह 06:17 एएम तक.
आज 6 अक्टूबर दिन शुक्रवाार को जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत है. आज सूर्योदय पूर्व से माताएं 24 घंटे का निर्जला व्रत हैं. यह कठिन व्रतों में से एक है क्योंकि इसमें अन्न, जल, फल आदि का सेवन पूर्णतया वर्जित है. हालांकि गर्भवती और अस्वस्थ माताओं के लिए छूट होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि को जितिया व्रत होता है. इस दिन प्रदोष काल में पूजा करते हैं और अष्टमी तिथि के समापन के बाद नवमी में पारण करते हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं जितिया व्रत की पूजा विधि, कथा, मुहूर्त, पूजन सामग्री आदि के बारे में.
जितिया व्रत 2023 का पूजा मुहूर्त
आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ: आज, शुक्रवार, सुबह 06:34 एएम से
आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि का समापन: कल, शनिवार, सुबह 08:08 एएम पर
जितिया व्रत का पूजा मुहूर्त: शाम, 06:02 पीएम के बाद से
सर्वार्थ सिद्धि योग: आज 09:32 पीएम से कल सुबह 06:17 एएम तक
चर-सामान्य मुहूर्त: 06:16 एएम से 07:45 एएम तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: 07:45 एएम से 09:13 एएम तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 09:13 एएम से 10:41 एएम तक
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जितिया व्रत 2023 का पारण समय
जितिया व्रत का पारण कल, शनिवार, सुबह 08 बजकर 08 मिनट के बाद से है. हालांकि आपके शहर के अनुसार अष्टमी तिथि के समापन के समय में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है. आप पंचांग की मदद से देख सकते हैं कि अष्टमी खत्म होने के बाद नवमी में ही जितिया व्रत का पारण करें.
जितिया व्रत और पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान आदि से निवृत होकर जितिया व्रत और पूजा का संकल्प करें. फिर दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें.
2. शुभ पूजा मुहूर्त में राजा जीमूतवाहन की मूर्ति कुश से बनाएं और उसे एक पानी से भरे बर्तन में स्थापित कर दें. अब आप फूल, माला, अक्षत्, धूप, दीप, सरसों तेल, खल्ली, बांस के पत्ते आदि से विधिपूर्वक पूजा करें. लाल और पीले रंग की रूई चढ़ाएं.
3. इसके बाद मादा सियार और मादा चील की मूर्ति पर खीरा, दही, चूड़ा, सिंदूर, केराव आदि अर्पित करें. ये मूर्ति मिट्टी और गोबर से बनानी चाहिए.
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4. अब आप जितिया व्रत की कथा सुनें. राजा जीमूतवाहन से अपनी संतान की सुरक्षा और उसके सुखी भविष्य के लिए प्रार्थना करें. आज का दिन व्यतीत होने के बाद कल सुबह स्नान आदि से निवृत होकर. पूजा करें.
5. फिर अपनी क्षमता के अनुसार दान और दक्षिणा दें. फिर नवमी तिथि के प्रारंभ होने पर पारण करके व्रत को पूरा करें.
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Tags: Dharma Aastha, Religion
FIRST PUBLISHED : October 6, 2023, 08:00 IST
