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पूजा के समय किस दिशा में हो मुख? गलत दिशा का होता है अशुभ प्रभाव, ज्योतिषाचार्य से जानें मंदिर से जुड़ी खास बातें

हाइलाइट्स

नियमित सुबह-शाम पूजा-पाठ करने से घर में सकारात्मकता बनी रहती है.
पश्चिम और पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करना बेहद शुभ होता है.

Pooja ke upay: हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है. नियमित सुबह-शाम पूजा-पाठ करने से घर में सकारात्मकता बनी रहती है. इसके अलावा मन के नकारात्मक विचारों का नाश होता है. पूजा के लिए दूर ना जाना पड़े और समय की भी बचत हो, इसलिए घर में मंदिर बनाने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है. हालांकि घर में मंदिर बनवाते समय पूजा से जुड़े नियमों की जानकारी जरूर रखनी चाहिए. खासतौर पर दिशा का ध्यान रखें. क्योंकि दिशा की अनदेखी करने से जीवन में अशुभ प्रभाव पड़ सकता है. अब सवाल है कि आखिर पूजा के समय मुख को किस दिशा में रखना चाहिए? मंदिर से जुड़ी खास जुड़ी क्या हैं खास बातें? बता रहे हैं उन्नाव के ज्योतिषाचार्य पं. ऋषिकांत मिश्र शास्त्री….

इस दिशा की ओर रखें मुख

पूजा सुबह की हो या फिर शाम की, दिशा की अनदेखी नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से घर में निगेटिविटी बढ़ती है. इसलिए जब भी आप घर में पूजा करें तो ध्यान रहे कि आपका मुंह पश्चिम दिशा की ओर रहे. यह दिशा बेहद शुभ फलदायी मानी जाती है. इसके अलावा, पूजा स्थल का द्वार पूर्व की ओर होना चाहिए. इस दिशा के अलावा पूजा करते समय व्यक्ति का मुंह पूर्व दिशा में होगा तब भी श्रेष्ठ फल प्राप्त हो सकते हैं. वहीं, यदि कोई पूजा कराने वाला है तो उसका मुंह उत्तर की ओर होना चाहिए.

घर में मंदिर का सही स्थान

घर में मंदिर बनवाते समय इससे जुड़े नियमों की जानकारी बेहद जरूरी है. बता दें कि, यदि घर में मंदिर बनवाना है तो ऐसा स्थान चुनें जहां दिनभर में कभी भी चाहें कुछ देर के लिए ही सही, लेकिन सूर्य की रोशनी पहुंचती हो. दरअसल, जिन घरों में सूर्य की रोशनी और ताजी हवा आती रहती है, उन घरों के कई वास्तु दोष शांत हो जाते हैं. सूर्य की रोशनी से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोतरी हो सकती है.

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मंदिर में मृतकों के चित्र लगाने से बचें

पूजा घर से जुड़ी जानकारी होने से आप कई परेशानियों से बच सकते हैं. हालांकि कुछ चीजों की अनदेखी करना भारी भी पड़ सकता है. इसके लिए सबसे पहले सुनिश्चित करें कि मंदिर में मृतकों और पूर्वजों का चित्र ना लगा हो. यदि आप अपने पूर्वजों के चित्र लगाना भी चाहते हैं तो मंदिर से अलग दक्षिण दिशा में लगा सकते हैं. ये दिशा पूर्वजों के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है. इसके अलावा, पूजन कक्ष में पूजा से संबंधित सामग्री ही रखनी चाहिए.

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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Lifestyle

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Author: traffictail

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