हाइलाइट्स
चांद पर एक बार फिर अंधेरा छाने वाला है.
लेकिन प्रोपल्शन मॉड्यूल से काफी उम्मीद जताई जा रही है.
प्रोपल्शन मॉड्यूल ने अब तक काफी डेटा भेजा है.
नई दिल्ली: भारत का मून मिशन चंद्रयान 3 काम करने के मामले में उम्मीदों पर खरा उतरा. साथ ही उसने क्षमता से अधिक काम कर के दिखाया. भारत का मून मिशन अब खत्म होने वाला है. क्योंकि चांद पर एक बार फिर से अंधेरा होने वाला है. तीन चार दिन में एक बार फिर शिव शक्ति प्वाइंट पर अंधेरा छा जाएगा. इसके साथ ही विक्रम और प्रज्ञान के नींद से जागने की सारी उम्मीदें खत्म हो जाएंगी. हालांकि इसके बाद भी चंद्रयान 3 के प्रोप्लशन मॉडल से उम्मीद बनी रहेगी.
बता दें कि चंद्रयान 3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल लगातार 58 दिन से चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. प्रोपल्शन मॉड्यूल ने अब तक काफी डेटा भेजा है. इस प्रोपल्शन मॉड्यूल में एक डिवाइस लगा हुआ है जिसका नाम है SHAPE. इसका मतलब है स्पेक्ट्रो-पोलैरीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ. दरअसल यह अंतरिक्ष में छोटे ग्रहों की खोज कर रहा है. इसके अलावा एक्सोप्लैनेट्स को भी खोज रहा है. एक्सोप्लैनेट्स का मतलब होता है सौर मंडल के बाहर मौजूद ग्रहों की जांच-पड़ताल में लगा है.
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SHAPE का मकसद ग्रहों पर जीवन के संकेत या इंसानों के रहने लायक ग्रहों की खोज करना है. इस काम में पोलोड लगातार लगा हुआ है और डेटा भेज रहा है. यह ग्रहों की जांच के लिए नियर-इंफ्रारेड (NIR) वेवलेंथ का इस्तेमाल करता है. इसका मतलब है कि प्रोप्लशन मॉडल चांद के चारों तरफ चक्कर लगाते-लगाते सौर मंडल के बाहर मौजूद ग्रहों की खोज में लगा हुआ है.
गौरतलब है कि चंद्रयान 3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम शुरुआत में सिर्फ विक्रम लैंडर को चांद की नजदीकी कक्षा में डालना था. और उससे अलग होकर चांद का चक्कर लगाना था. यह काम प्रोपल्शन मॉड्यूल ने बखूबी किया है. इसलिए अब इसरो के वैज्ञानिक इसमें लगे SHAPE का पूरा फायदा उठाने में लगे हुए हैं. यह कम से कम चार-पांच महीने और काम करेगा.
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Tags: Chandrayaan-3, Mission Moon
FIRST PUBLISHED : October 2, 2023, 17:34 IST